राजस्थानी तीज-त्यूँवार, नेगचार, गीत-नात, पहराण, गहणा-गांठी अर बरत-बडूल्यां री सोवणी सी झांकी है तीज-त्यूँवार...

बछबारस री कहाणीँ

एक साहूकार हो जीकै सात बेटा अर भोत सारा पोता हा। बो साहूकार एक जोहड़ो बणवायो पण बार बरस निक्ल्याँ पाछै भी बीमै पाणी कोणी भरयो। जद साहूकार पंडितां नै बुला'र पूछ्यो की बात के है। ओ जोहड़ो भरै कियां कोनी। तो पंडित बोल्या की थांनै बडा बेटा नाईं तो बडा पोता बळी देनी पङसी जद ई ओ जोहड़ो भरसी। फेर साहूकार आपकी बडी भू नै पीर भेज दी अर बडा पोता की बळी दे दी। इत्ता मैं ई गाजती-घोरती बादळी आई अर जोहड़ो भरगो। पाछै जद बछबारस आई तो सै जणा कहबा लाग गा की चलो आपां जोहड़ा नै पूजबा चालां। जावंती टेम बै दासी नै कहगा की गिऊंला नै तो रांध लीजे अर धातुला नै उछेड़ दीजे। गिऊंला अर धातुला गाय कै बाछां का नाम हा। अर दासी दोनी बाछां नै ई रांध दिया। बठीनै सहूकरानी अर साहूकार गाजा-बाजा सैं जोहड़ो पूज्यो। बी टेम साहूकार का बडा बेटा की भू भी पीर सैं आगी। जोहड़ो पूज्यां पाछै जद घर का सगळा टाबरां कै टीका काडनै लागी तो बळी दियोड़ो पोतो भी गोबर माटी मैं लीपेड़ो जोहड़ा कै बारैं नीसरयो। जद दोनी सासु भू एक दूसरा कानी देखबा लागगी । फेर सासु भू नै बडा पोता की बळी देबा की सगळी बात बताई अर कह्यो कै बछबारस माता आपां नै टूठी है। अर बाइ आपां नै आपणों छोरो ओठो दियो है। जोहड़ो पूज'ज सै घरां आया तो दासी बोली की बाछां नै तो मैं रांध दिया। तो साहूकार नै भोत झाळ आई अर बो बोल्यो की एक पाप तो म्हे उतारयो है अर तू दूसरो चढ़ा दियो। रांधेङा बाछां नै साहूकार माटी मैं गाड दिया। दिन छिपयाँ जद गायां खेतां मां चर कै आई तो बाछां नै कोनी देख'र जमीन खोदबा लागगी, तो बाछा गोबर माटी मैं लिप्योड़ा बारैं निक्ल्या। सै कोई साहूकार नै आ'र बतायो की थारा बाछा ओठा आगा। साहूकार जायके देख्यो तो बाछा दूध पीता दीख्या। साहूकार सगळा गाँव मैं हेलो फिरायो की सै बेटा की माँ बछबारस करो अर जोहड़ो पूजो।
हे बछबारस माता जीसो साहूकार अर साहूकारनी नै दियो बिसो सैनै दीजे। कहतां सुणतां नै हुंकारा भरतां नै। पीर सासरे सुख शांति राखज्ये.

1 comment:

  1. आ खाणी पेली सुणी छी जद मैं भी म्हारी माँ सागे गाय पूजबा जातो छो, आज दुबारा पढ़ी तो सागळी बातां याद आगी :)

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