राजस्थानी तीज-त्यूँवार, नेगचार, गीत-नात, पहराण, गहणा-गांठी अर बरत-बडूल्यां री सोवणी सी झांकी है तीज-त्यूँवार...

बिंदायकजी रो गीत....!


म्हारा बिंदायकजी स्याणा ल्यावैं बै तो धन का बाणा
म्हारा बिंदायकजी भोळा, ल्यावैं भर कै धन का झोळा
म्हारा बिंदायकजी सूदा, करदीं बै तो धन का कुड्डा
म्हारा बिंदायकजी ठाडा, ल्यावैं बैं तो धन का गाडा
हे बिंदायकजी महाराज, भरया ई आइयो रीता जाइयो
बिंदायक बाबो रंग्यो चंग्यो, भरी बाङी मैं फिरै सुरंगो
राणी ध्यावै राज नै, म्हे ध्यावां म्हारा सुहाग नै
राणी को राज बधगो ,म्हारो कारज सधगो
पोता बहू की राबङी, दोयता बहू की खीर
मीठी लागै लागी राबङी, खाटी लागै खीर
हे महाराज सटक बिंदायक, घोङा की हिणहिणाहट देई
बांदी की भणभणाहट देई, कुणो भर्यो खुडिया को देई
थळी भरी जूत्याँ की देई, घर सांकळो पथ मोकळो देई
खूंटी हार, सेज भरतार, पूत पालणै, कङावण दूध देई
हे बिंदायकजी महाराज सैका कारज सारियो
घर मैं सुख शांति को राज कर्यो, मुक्ति दीज्यो