एक मीन्डको और एक मीन्डकी हा। मीन्डकी रोजीना विनायकजी की कहाणीँ कहती। एक दिन मीन्डको बोल्यो की तू कांई रोजीना पराया पुरुष को नाम लेवै है। जै तू अब इयां करैगी तो मोगरी सैं तेरो माथो फोड़ दयूंलो। बस फेर के हो बिन्दयाकजी रूसगा। बी दिन राजा की बांदी आई और दोनुआं नै पात मैं घाल कै लेगी अर बांनै चूल्हा माळै चढ़ा दियो। जद दोन्यों जणा सीजण लाग्या तो मीन्डको बोल्यो मीन्डकी ठाडो कस्ट आयो है। थारा बिन्दयाकजी नै सुमर नहीं तो आपां दोन्यों ई मर जास्यां। मीन्डकी सात बार संकट बिन्दायक.... संकट बिन्दायक कह्यो। जणां दो सांड बठे लड़ता लड़ता आया अर पात कै सींग की मारी, फेर पातो फूटगो अर मीन्डको-मीन्डकी सरवर की पाळ मैं चल्या गा।
हे बिन्दयाकजी महाराज, जियां मीन्डका-मीन्डकी को कस्ट काट्यो बियां सैको काटज्यो। कहताँ सुंणताँ को हुँकारा भरता को। सगळा परिवार माय सुख शांति राखज्यो।
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थारा बिचार अठे मांडो सा ....