राजस्थानी तीज-त्यूँवार, नेगचार, गीत-नात, पहराण, गहणा-गांठी अर बरत-बडूल्यां री सोवणी सी झांकी है तीज-त्यूँवार...

सांपदा को उज्मणों

सांपदा को उज्मणों डोरा लेणा सरू करनै कै कुछ बरस पाछै ई करयो जाय है। पैलै दिन मैंदी लगा कै ई दिन बरत राख्यो जाय है और कहाणीँ सुणी जाय है। कहाणीँ सुणै जद एक पाटा माळै पाणी को लोट्यो, रोळी, चावळ अर सीरो-पूड़ी मेलकै पूजा करी जाय है। लोट्या पर सात्यो बणा अर टीका काड कै कहाणीँ सुणकर बायणों काड कै डोरा खोलणै की रीत है। उज्मणा कै दिन बायणां मैं सोळा थाल्याँ मैं थोड़ो-थोड़ो सीरो, कब्जो ओढ़णी अर रूपया मेल कै हाथ फेर लेणों चाये। हाथ फेरयाँ पाछै बायणों सासुजी नै पगा लाग कर दियो जाय है। ई दिन सोळा बामणी भी जिमाणी चाये। सोळा जगां पैली सूं ई हाथ फेरेड़ा सीर-पूड़ी बामणिंयां नै घाल देणों चाये। जीमण कै पाछै टीका काड कै दक्षिणा दे कै बानै बिदा करणों चाये। उज्मणा कै दिन ओ सारो काम चूनड़ी (ओढ्नो )ओढ़ अर नथ पैर कर करणों चाये।

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