
पैला गास्या मैं बाळ आयगो अर दूसरा गास्यो लेण सैँ पैली बीनै सासरे आळा लिवाण नै आगा अर कह्यो कै बाई को पावणों भोत बेमार है बेगी भेजो। सगळी बातां मैँ ई कुसुण होण लाग गा। बिकी जद पैरन कै सारुं गाबा काडनै खातर पेटी खोली तो धोळो बेस नीख्ल्यो। बाई नै धोळो गाबो पैरा कै ई सासरे भेज दिनी। माँ पल्ला कै एक सोना को टको बांध दियो अर कह्यो की गैला मैं कोई भी मिलै बिका पगा लगाती जाजे जीकी तने सुहागण होण को आसीस देव बीनै ओ सोना को टको दे दिज्ये। पण गैला मैँ कोई भी बीनै सुहाग की आसीस कोनी देई। भायां को सुख देख अदबेळ्याँ मैँ चाँद उगाण आळी, सै इयां कहण लागी। घर की चौखट माळै छयोटी नणद उबी ही बा बीका पगा लागणा करया तो बा बोली सीळी सपूती व्है, बूढ़ सुहागण व्है। बा सोना को टको नणद नै दे दियो अर पल्ला कै गाँठ बाँध ली। घरां कै मायनै बड़ी तो सासू पीढो कोनी घाल्यो। कहण लागी ऊपर मरेड़ो पड्यो है जा बी कनै जार बैठ जा। ऊपर गयी तो देख्यो की धणी तो मरेड़ो पड्यो। बा तो बी टेम ई बी कनै बैठगी अर बीनै सेवण लागगी। घरका जणा बच्योड़ी रोट्याँ का टूकड़ा बीनै दे देता अर बीका दिन निसर बा लगगा।
थोडा दिनां पाछै मंगसिर की चौथ आई अर कहण लागी। करवो ले भायां की भांण, करवो ले। करवो ले, बरत भांडणी करवो ले। जद बा चौथ माता का पकड़ लिया अर बोली कै म्हारो सुहाग थानै देणों पड़सी। तो मंगसिर की चौथ बोली की पौ की चौथ आसी बा मेरासैं बडी चौथ है। बाइ तनै थारो सुहाग देसी। इयां ई आगै बारा महीना की सगळी चौथ आंवती गई अर बीनै आई बात कहती गई की मेरा सैं बडी चौथ आवै बीकनै सैं तू सुहाग मान्गज्ये। पाछै आसोज की चौथ आई जकी बीनै बोली की काती की चौथ थारै सैं नाराज है तू बीका पगा मैं पङजा बाइ तनै सुहाग देसी। फेर गाजती घोरती करवा चौथ आई अर बोली करवो ले, भायां की प्यारी भाण। करवो ले, दिन मैं चाँद उगाणी। करवो ले, बरत भांडणी, करवो ले। जद साहूकार की बेटी करवा चौथ का पग पकड़ लिया। रोबा लाग गी अर बोली हे ! चौथ माता म्हारो सुहाग पाछो दयो । चौथ बोली अद बेळयां मैं चाँद उगावणी मेरा पग क्यों पकडै है। म्हारी गळती माफ़ कर चौथ माता, अर म्हाने सुहाग दे। चौथ माता राजी हुई अर चिट्टी मैं सैं मैंदी काडी, आँख मैं सै काजळ लियो अर टीका मैं सैं रोळी लेर छांटो दियो। बस छांटो देता ई बीको धणी बैठ्यो होगो। फेर दोनी धणी लुगाई चौथ माता को घणो उछाव करयो। चुरमों बणायो कहाणीँ सुणी अर करवो मनस्यो। चौथ माता नै धोक अर दोनी जणा जीम लिया अर चोपड़ पासा खेल्ण लागगा। नीचै सैं दासी रोटी लेर आई तो बानै चोपड़ खेलता देखर सासु नै आर सगळी बात बताई। सासु ऊपर आई अर बेटा नै जींवतो-जगतो देखर भोत राजी हुई। भू-बेटा नै पूछ्यो की ओ कियां होगो। जणा भू बोली की मनैँ तो करवा चौथ माता सुहाग टूठी है। बा सासु का पगा लागणा करया अर सासु बीनै सुहाग की घणी घणी आसीस दीई।
हे चौथ माता जियां साहूकार की बेटी नै सुहाग दियो बियां ई सैनै दीजे। कहताँ सुणतां नै, हुंकारा भरतां नै। पीर सासरे मैं सुख शांति राखज्ये।