राजस्थानी तीज-त्यूँवार, नेगचार, गीत-नात, पहराण, गहणा-गांठी अर बरत-बडूल्यां री सोवणी सी झांकी है तीज-त्यूँवार...

करवा चौथ री कहाणीँ

एक साहूकार कै सात बेटा अर एक बेटी ही। सातूं भाई जद भी जीमणै बैठता भांण नै सागै लेर बैठता । बै कदे ई एकला कोनी जीमता। फेर काती की चौथ का बरत कै दिन सारा भाई बोल्या आव बाई जीम लै। जद भांण बोली आज तो म्हारो करवा चौथ को बरत है। ई खातर चाँद उगण कै पाछै ई जीम स्यूं। भाई सोचण लाग्या की भांण तो इयां भूखी रह जासी। जणा एक भाई दिवो लियो अर दूसरो चालणी लेकै टीबा कै ओलै चल्यागा , दिवो चास्यो अर बीने चालणी सैँ ढक दियो फेर भांण नै आर बोल्या कै बाई देख चाँद उग्यायो। जा अरग दे लै। जद भैंण भाभ्याँ नै आर बोली की चालो अरग देवां। तो भाभ्याँ बोली की बाईजी थारो ई चाँद उग्यो है म्हारो तो रात मैं उगसी। भांण बावळी ई बात नै समझी कोनी अर अरग दे कै भायां कै सागै जीमणै बैठगी।

पैला गास्या मैं बाळ आयगो अर दूसरा गास्यो लेण सैँ पैली बीनै सासरे आळा लिवाण नै आगा अर कह्यो कै बाई को पावणों भोत बेमार है बेगी भेजो। सगळी बातां मैँ ई कुसुण होण लाग गा। बिकी जद पैरन कै सारुं गाबा काडनै खातर पेटी खोली तो धोळो बेस नीख्ल्यो। बाई नै धोळो गाबो पैरा कै ई सासरे भेज दिनी। माँ पल्ला कै एक सोना को टको बांध दियो अर कह्यो की गैला मैं कोई भी मिलै बिका पगा लगाती जाजे जीकी तने सुहागण होण को आसीस देव बीनै ओ सोना को टको दे दिज्ये। पण गैला मैँ कोई भी बीनै सुहाग की आसीस कोनी देई। भायां को सुख देख अदबेळ्याँ मैँ चाँद उगाण आळी, सै इयां कहण लागी। घर की चौखट माळै छयोटी नणद उबी ही बा बीका पगा लागणा करया तो बा बोली सीळी सपूती व्है, बूढ़ सुहागण व्है। बा सोना को टको नणद नै दे दियो अर पल्ला कै गाँठ बाँध ली। घरां कै मायनै बड़ी तो सासू पीढो कोनी घाल्यो। कहण लागी ऊपर मरेड़ो पड्यो है जा बी कनै जार बैठ जा। ऊपर गयी तो देख्यो की धणी तो मरेड़ो पड्यो। बा तो बी टेम ई बी कनै बैठगी अर बीनै सेवण लागगी। घरका जणा बच्योड़ी रोट्याँ का टूकड़ा बीनै दे देता अर बीका दिन निसर बा लगगा।
थोडा दिनां पाछै मंगसिर की चौथ आई अर कहण लागी। करवो ले भायां की भांण, करवो ले। करवो ले, बरत भांडणी करवो ले। जद बा चौथ माता का पकड़ लिया अर बोली कै म्हारो सुहाग थानै देणों पड़सी। तो मंगसिर की चौथ बोली की पौ की चौथ आसी बा मेरासैं बडी चौथ है। बाइ तनै थारो सुहाग देसी। इयां ई आगै बारा महीना की सगळी चौथ आंवती गई अर बीनै आई बात कहती गई की मेरा सैं बडी चौथ आवै बीकनै सैं तू सुहाग मान्गज्ये। पाछै आसोज की चौथ आई जकी बीनै बोली की काती की चौथ थारै सैं नाराज है तू बीका पगा मैं पङजा बाइ तनै सुहाग देसी। फेर गाजती घोरती करवा चौथ आई अर बोली करवो ले, भायां की प्यारी भाण। करवो ले, दिन मैं चाँद उगाणी। करवो ले, बरत भांडणी, करवो ले। जद साहूकार की बेटी करवा चौथ का पग पकड़ लिया। रोबा लाग गी अर बोली हे ! चौथ माता म्हारो सुहाग पाछो दयो । चौथ बोली अद बेळयां मैं चाँद उगावणी मेरा पग क्यों पकडै है। म्हारी गळती माफ़ कर चौथ माता, अर म्हाने सुहाग दे। चौथ माता राजी हुई अर चिट्टी मैं सैं मैंदी काडी, आँख मैं सै काजळ लियो अर टीका मैं सैं रोळी लेर छांटो दियो। बस छांटो देता ई बीको धणी बैठ्यो होगो। फेर दोनी धणी लुगाई चौथ माता को घणो उछाव करयो। चुरमों बणायो कहाणीँ सुणी अर करवो मनस्यो। चौथ माता नै धोक अर दोनी जणा जीम लिया अर चोपड़ पासा खेल्ण लागगा। नीचै सैं दासी रोटी लेर आई तो बानै चोपड़ खेलता देखर सासु नै आर सगळी बात बताई। सासु ऊपर आई अर बेटा नै जींवतो-जगतो देखर भोत राजी हुई। भू-बेटा नै पूछ्यो की ओ कियां होगो। जणा भू बोली की मनैँ तो करवा चौथ माता सुहाग टूठी है। बा सासु का पगा लागणा करया अर सासु बीनै सुहाग की घणी घणी आसीस दीई।
हे चौथ माता जियां साहूकार की बेटी नै सुहाग दियो बियां ई सैनै दीजे। कहताँ सुणतां नै, हुंकारा भरतां नै। पीर सासरे मैं सुख शांति राखज्ये।

गणगौर की कहाणीँ


राजा कै बाया जौ चिणा, माळी कै बाई दूब। राजा का जौ चिणा बढ़ता जांय माळी की दूब घटती जाय । एक दिन माळी कै मन मैं बिचार हुयो की बात के है? राजा का जौ चिणा तो बढ़ता जा रह्या है अर म्हारी दूब घटती जा रह्यी है। फेर एक दिन बो गाडा कै ओलै ल्हुक कै बैठगो अर सोच्यो की देखां तो सरी बात कै है। बो देख्यो की सुवारैँ-सुवारैं गाँव की भू-बेट्याँ आई अर दुबड़ी को सुंता- सल्डो कर लेगी। फेर बो ओजूं ल्हुक कै बैठगो अर बै दूब लेण आळी आई तो कोई का हर खोस्या कोई का डोर खोस्या। अर कह्यो कै थे म्हारी दूब क्यों लेर जावो हो। जद गणगौर पूजण आळी बोली की म्हे सोळा दिन की गौर पूजां हां, क्यों म्हारा हार खोस्या क्यों म्हारा डोर खोस्या , तने सोळा दिन को पूज्यो पाठ्यों दे जांवांली। इयां सुणकै माळी को बेटो बानै बांका हार सिणगार पाछा दे दिया। जद सोळा दिन पूरा हुया तो गणगौर पूजण आळी भू-बेट्याँ आई अर मालण नै सोळा दिन को पूज्यो-पाठ्यों देगी। माळी को बेटो जद बारां सैं आयो तो माँ सैं पुछ्णै लाग्यो की माँ बै छोरी-छापरी क्यों दे कै गयी के। माँ बोली, हां बेटा देगी है ओबरी मैं मेल्या है जा ले लै। बेटो जद ओबरी खोलण लाग्यो तो बीसैँ ओबरी कोनी खुली। जद बिकी माँ आय कै चिटली आंगळी सैं रोळी को छांटो दियो अर ओबरी खुलगी। बै देख्या तो ओबरी मैं हीरा पन्ना जगमगा रह्या अर सगळी चीजां का भंडार भरया है। बै देख्यो की ईसर जी पेचो बांधैं अर गौर चरखो कातै । हे गौर माता माळी का बेटा नै टूठी जीयां ई सै माळै किरपा करजे। गणगौर माता थारो सो सुहाग दीज्यो भाग मत दीज्यो। पीर सासरै सुख शांति राखज्यो।

सांपदा को उज्मणों

सांपदा को उज्मणों डोरा लेणा सरू करनै कै कुछ बरस पाछै ई करयो जाय है। पैलै दिन मैंदी लगा कै ई दिन बरत राख्यो जाय है और कहाणीँ सुणी जाय है। कहाणीँ सुणै जद एक पाटा माळै पाणी को लोट्यो, रोळी, चावळ अर सीरो-पूड़ी मेलकै पूजा करी जाय है। लोट्या पर सात्यो बणा अर टीका काड कै कहाणीँ सुणकर बायणों काड कै डोरा खोलणै की रीत है। उज्मणा कै दिन बायणां मैं सोळा थाल्याँ मैं थोड़ो-थोड़ो सीरो, कब्जो ओढ़णी अर रूपया मेल कै हाथ फेर लेणों चाये। हाथ फेरयाँ पाछै बायणों सासुजी नै पगा लाग कर दियो जाय है। ई दिन सोळा बामणी भी जिमाणी चाये। सोळा जगां पैली सूं ई हाथ फेरेड़ा सीर-पूड़ी बामणिंयां नै घाल देणों चाये। जीमण कै पाछै टीका काड कै दक्षिणा दे कै बानै बिदा करणों चाये। उज्मणा कै दिन ओ सारो काम चूनड़ी (ओढ्नो )ओढ़ अर नथ पैर कर करणों चाये।

टाबरिया भी जाणै आपणा तीज-तेवार

आपणी संस्करती अर सभ्याचार नै नुईं पीढ़ी नै सोंपणैँ की खातर भोत जरूरी है की आपां सरुआत सैँ ई टाबरां नैँ आपणा बार-त्यूँवार अर नेगचारां कै बारै मैं बतावां। रीत रिवाज अर धरम दस्तूर नै समझण को सबसूं चोखो मोको आपणा ही तीज-तेवार होवैँ हैं। क्यूंकि आं मोकां माळै टाबरां नै बडा-बूढां का मान सैँ लेर छ्योटा की मनवार करणै तक सगळी सीख मिल सकै है। घर पिरवार का सारा जणा एक सागै न रेवै तो भी अस्यां मोकां माळै भेळा हो कै त्यून्वर मानणा चाये, इसैँ टाबर पिरवार का लोगां नैँ जाणै पिछाणै अर बांसैं आगै भी जुड़ाव राखै। बार- त्यूँवार कै टेम टाबरां नैँ आपणै पैरांण, रांधण अर नेगचार की जाणकारी हंसताँ खेल्ताँ ई मिल जावै है।

आपणा चौखट चौबरां रो सिणगार है माँडणा

चौक पुरावो मंगळ गावो.........ई तिरियाँ ई सरू होवै है आपणी मरुधरा माळै तीज तेवार अर सुभ कारज। जणा ई अठे सगळा बरत बङू्ल्याँ अर तीज तेवारां कै खातर न्यारा-न्यारा माँडणा माँड्या जाय है। आं माँडणा नै दीवाल कै माळै अर आँगणां कै मायनैँ उकेरण रो रिवाज है। शादी-ब्याव सैँ लेर होळी दिवाळी तांणी आपणै सगळा मोकां माळै सोवणा अर रंग-बिरंगा माँडणा बणाणैं को धारो है। कस्या भी सुभ कारज री सरुआत मैं सैसूं पैली चौक पुरायो जाय है।

चौक का माँडणा इयां बणाया जाय है....















































































न्योरात्रा इयां माँड्या जाय है....


होळी को माँडणों असो होवै है....


दूबङी सातैँ इयां माँडी जाय है...


दसरावो ई तिरियाँ माँड्यो जाय है...


गूगा पाँचैं को माँडणों इयां माँड्यो जाय है....


होई आठैँ इयां माँडी जाय है...


राखी पून्यू माळै सूंण ई तिरियाँ माँड्यो जाय है...


बछबारस इयां माँडी जाय है....


गणगौर ई तिरियाँ माँडी जाय है....


देव उठणी ग्यारस माळै देव इयां माँड्या जाय है....


गोबरधन इयां माँड्यो जाय है....


दिवाळी री पूजा सारूं लिछमीजी अर गणेशजी ई तिरियाँ माँड्या जाय है....