चौक पुरावो मंगळ गावो.........ई तिरियाँ ई सरू होवै है आपणी मरुधरा माळै
तीज तेवार अर सुभ कारज। जणा ई अठे सगळा बरत-बड़ूल्यां अर तीज तेवारां कै
खातर न्यारा-न्यारा माँडणा माँड्या जाय है। आं माँडणा नै दीवाल कै माळै अर
आँगणां कै मायनैँ उकेरण रो रिवाज है। शादी-ब्याव सैँ लेर होळी दिवाळी तांणी
आपणै सगळा मोकां माळै सोवणा अर रंग-बिरंगा माँडणा बणाणैं को धारो है।
कस्या भी सुभ कारज री सरुआत मैं सैसूं पैली चौक पुरायो जाय है।
WoW......
ReplyDeleteThanks
Deleteवाह, घणाई दिनां पाच्छै ब्लाॅग सजायो। 😀
ReplyDeleteहाँ , अब तो ब्लॉग्गिंग छूट सी गी ...:(
Deleteआज भी हमारे यहां कोलकाता में रंगोली की जगह मांडणा मांडते हैं ।
ReplyDeleteअच्छा लगा जानकर
Deleteवाह !! राजस्थानी ब्लाॅग पर आपनै देखनै हरख हुयो सा। आपी राजस्थानी माथै इ पकड़ जबरी है। खेचल करनै इणमें रचता रैवो तो राजस्थानी पाठकां नै हरख हूवैला .....मांडणा अर मांडणा माथै बात लूंठी मांडी हौ सा ।
ReplyDeleteघणों आभार... कोसिस तो आ ई रैवे कि ब्लॉग पर लेखण जारी रैवै पण :(
Deleteरंगहीण धरती रा बाशिंदा रंगीन रंगा नै जीवण मांय उतारया पण मांडणा मांय दोय रंग ही क्यूं लिया । ओ विचार आवै....
ReplyDeleteशायद माटी के ये दो रंग ही आसानी से उपलब्ध थे | वरना बाकी तो हर चीज़ में सात रंग सजे रहते हैं :)
DeleteNice blog.
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