राजस्थानी तीज-त्यूँवार, नेगचार, गीत-नात, पहराण, गहणा-गांठी अर बरत-बडूल्यां री सोवणी सी झांकी है तीज-त्यूँवार...

ऋषि पंचमी - भायाँ पांचै रो त्यूंवार

आपणा लोकपर्व कुदरत नै पूजण को संदेसों ई देवण आळा होवे  | मरुधरा रै आँगणे माँय अस्यो ई एक त्यूंवार  भायाँ पांचै को बी छै |  ई दिन कहाणी सुणी जाय छै | सागै ई घास सूं भाई-भाण बनाण'र बानै पूजण री रीत छै |  भायाँ पांचै  को परव रक्षाबंधन सूं भी बडो मान्यों जावै छै | ई दिन भाई आपरी भाण के सासरे जाय'र नेग दिया करै | कह्यो जाय छै कै ई दिन जिका भाई-भाण सागै बैठ'र जीमै बांरो परेम सदा बण्यो रैवे |  ई दिन जीमण खातर चावळ-मूँग बनाण की रीत छै | गैलका दिनां  ई मनायोड़ा की  त्यूंवार की फ़ोटुआं......