राजस्थानी तीज-त्यूँवार, नेगचार, गीत-नात, पहराण, गहणा-गांठी अर बरत-बडूल्यां री सोवणी सी झांकी है तीज-त्यूँवार...

ऋषि पंचमी - भायाँ पांचै रो त्यूंवार

आपणा लोकपर्व कुदरत नै पूजण को संदेसों ई देवण आळा होवे  | मरुधरा रै आँगणे माँय अस्यो ई एक त्यूंवार  भायाँ पांचै को बी छै |  ई दिन कहाणी सुणी जाय छै | सागै ई घास सूं भाई-भाण बनाण'र बानै पूजण री रीत छै |  भायाँ पांचै  को परव रक्षाबंधन सूं भी बडो मान्यों जावै छै | ई दिन भाई आपरी भाण के सासरे जाय'र नेग दिया करै | कह्यो जाय छै कै ई दिन जिका भाई-भाण सागै बैठ'र जीमै बांरो परेम सदा बण्यो रैवे |  ई दिन जीमण खातर चावळ-मूँग बनाण की रीत छै | गैलका दिनां  ई मनायोड़ा की  त्यूंवार की फ़ोटुआं...... 






ऊँध्याळा रो संगी

                                                              बीजणी ( बीजणों)  ------  मन रा माँडणा   

 

आपणा चौखट चौबरां रो सिणगार माँडणा

चौक पुरावो मंगळ गावो.........ई तिरियाँ ई सरू होवै है आपणी मरुधरा माळै तीज तेवार अर सुभ कारज। जणा ई अठे सगळा बरत-बड़ूल्यां  अर तीज तेवारां कै खातर न्यारा-न्यारा माँडणा माँड्या जाय है। आं माँडणा नै दीवाल कै माळै अर आँगणां कै मायनैँ उकेरण रो रिवाज है। शादी-ब्याव सैँ लेर होळी दिवाळी तांणी आपणै सगळा मोकां माळै सोवणा अर रंग-बिरंगा माँडणा बणाणैं को धारो है। कस्या भी सुभ कारज री सरुआत मैं सैसूं पैली चौक पुरायो जाय है।